
EVM का विरोध देश की जनता के जनादेश का अनादर है। अपनी संभावित हार से बौखलाई विपक्ष की यह 22 पार्टियां देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर सवालिया निशान उठा कर विश्व में देश और अपने लोकतंत्र की छवि को धूमिल कर रही है। इन सभी दलों की मांगो का कोई तार्किक आधार नहीं है
और वह सिर्फ निजी स्वार्थ से प्रेरित है। मैं इन सभी पार्टियों से कुछ प्रश्न पूंछना चाहता हूं।
प्रश्न-1 : EVM की विश्वसनीयता पर प्रश्न उठाने वाली कांग्रेस, बसपा, सपा, तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी, आप, तेलगु देशम पार्टी, वाम दल, राजद इत्यादि अधिकांश विपक्षी पार्टियों ने कभी न कभी EVM द्वारा हुए चुनावों
में विजय प्राप्त की है। जब आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में 70 में से 67 सीटों पर विजय प्राप्त की और हाल के
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 4 राज्यों में सरकार बनायी तब तो हमने EVM पर प्रश्न नहीं उठाये। तो क्या यह माना जाए कि जब विपक्ष की विजय हो तो उन्होंने चुनाव जीता और जब हार हो तो उन्हें EVM ने हरा दिया। यदि उन्हें EVM पर विश्वास नहीं है तो इन दलों ने चुनाव जीतने पर सत्ता के सूत्र को क्यों सम्भाला ?
प्रश्न-2 : देश की सर्वोच्च अदालत ने तीन से ज्यादा PIL का संज्ञान लेने के बाद चुनावी प्रक्रिया को अंतिम स्वरूप दिया है। जिसमे की हर विधानसभा क्षेत्र में पांच VVPAT को गिनने का आदेश दिया है । तो क्या आप लोग सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर भी प्रश्नचिन्ह लगा रहे है ?
प्रश्न-3 : मतगणना के सिर्फ दो दिन पूर्व 22 विपक्षी दलों द्वारा चुनावी प्रक्रिया में परिवर्तन की मांग पुर्णतः असंवैधानिक है क्योंकि इस तरह का कोई भी निर्णय सभी दलों की सर्वसम्मति के बिना सम्भव नहीं है।
प्रश्न-4 : विपक्ष ने EVM के विषय पर हंगामा छः चरणों का मतदान समाप्त होने के बाद ही शुरू किया है।
यह हंगामा विशेषकर एक्जिट पोल के परिणाम आने के बाद और तीव्र हो गया। मैं विपक्ष को बताना चाहता हूं कि एक्जिट पोल EVM के आधार पर नहीं बल्कि मतदान के पश्चात मतदाता से प्रश्न पूछ कर किया जाता है। अतः एक्जिट पोल के आधार पर आप EVM की विश्वसनीयता पर कैसे प्रश्न उठा सकते है ?
प्रश्न-5 : कुछ समय पूर्व EVM में गड़बड़ी के विषय पर प्रोएक्टिव कदम उठाते हुए चुनाव आयोग ने सभी को सार्वजनिक रूप से चुनौती देकर इसके प्रदर्शन का आमंत्रण दिया था। परन्तु उस चुनौती को किसी भी विपक्षी दल ने स्वीकार नहीं किया । इसके बाद चुनाव आयोग ने EVM को VVPAT से जोड़ कर चुनावी प्रक्रिया को और पारदर्शी किया। VVPAT प्रक्रिया के आने के बाद मतदाता मत देने के बाद देख सकता है कि उसका मत किस पार्टी को रजिस्टर हुआ। प्रक्रिया के इतने पारदर्शी होने के बाद इस पर प्रश्न उठाना कितना उचित है ?
प्रश्न-6 : कुछ विपक्षी दल चुनाव के परिणाम अनुकूल न आने पर ‘हथियार उठाने’ और “खून की नदिया बहाने’’ जैसे आपत्तिजनक बयान दे रहे है। मैं कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों को बताना चाहता हूं कि लोकतंत्र में ऐसी हिंसात्मक सोच और भाषा का कोई स्थान नहीं है। विपक्ष बताये कि ऐसे हिंसात्मक और अलोकतांत्रिक बयान के द्वारा वह किसे चुनौती दे रहा है ?
सभी को पता है कि पश्चिम बंगाल को छोड़ कर सारे देश में मतदान पूरी तरह शान्ति पूर्वक संपन्न हुआ है।
भारत के लोकतंत्र का इतिहास है कि 1977 से 2014 के सभी आम चुनावों में भारी परिवर्तन शांतिपूर्वक हुए
जिससे देश के लोकतंत्र पर सारे विश्व की आस्था मजबूत हुई और देश का गौरव भी बढ़ा। अपने निहित स्वार्थ और पराजय को न मानने की मानसिकता के कारण विपक्ष चुनाव आयोग और देश के लोकतंत्र की छवि को धूमिल कर रहा है।मेरा मानना है को इस चुनाव का जो भी परिणाम आये उसे सभी को स्वीकार करना चाहिए क्योकि यह देश के 90 करोड़ मतदाताओं का जनादेश होगा। मैं देश की जनता से
भी अपील करना चाहता हूं कि EVM पर विपक्ष द्वारा उठाए जा रहे प्रश्न सिर्फ भ्रान्ति फैलाने का प्रयास है, जिससे प्रभावित हुए बिना हम सबको हमारे प्रजातांत्रिक संस्थानों को और मजबूत करने का प्रयास करना चाहिए।
EVM का विरोध देश की जनता के जनादेश का अनादर है। अपनी संभावित हार से बौखलाई विपक्ष की यह 22 पार्टियां देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर सवालिया निशान उठा कर विश्व में देश और अपने लोकतंत्र की छवि को धूमिल कर रही है। इन सभी दलों की मांगो का कोई तार्किक आधार नहीं है और वह सिर्फ निजी स्वार्थ से प्रेरित है। मैं इन सभी पार्टियों से कुछ प्रश्न पूंछना चाहता हूं। प्रश्न-1 : EVM की विश्वसनीयता पर प्रश्न उठाने वाली कांग्रेस, बसपा, सपा, तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी, आप, तेलगु देशम पार्टी, वाम दल, राजद इत्यादि अधिकांश विपक्षी पार्टियों ने कभी न कभी EVM द्वारा हुए चुनावों में विजय प्राप्त की है। जब आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में 70 में से 67 सीटों पर विजय प्राप्त की और हाल के पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 4 राज्यों में सरकार बनायी तब तो हमने EVM पर प्रश्न नहीं उठाये। तो क्या यह माना जाए कि जब विपक्ष की विजय हो तो उन्होंने चुनाव जीता और जब हार हो तो उन्हें EVM ने हरा दिया। यदि उन्हें EVM पर विश्वास नहीं है तो इन दलों ने चुनाव जीतने पर सत्ता के सूत्र को क्यों सम्भाला ? प्रश्न-2 : देश की सर्वोच्च अदालत ने तीन से ज्यादा PIL का संज्ञान लेने के बाद चुनावी प्रक्रिया को अंतिम स्वरूप दिया है। जिसमे की हर विधानसभा क्षेत्र में पांच VVPAT को गिनने का आदेश दिया है । तो क्या आप लोग सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर भी प्रश्नचिन्ह लगा रहे है ? प्रश्न-3 : मतगणना के सिर्फ दो दिन पूर्व 22 विपक्षी दलों द्वारा चुनावी प्रक्रिया में परिवर्तन की मांग पुर्णतः असंवैधानिक है क्योंकि इस तरह का कोई भी निर्णय सभी दलों की सर्वसम्मति के बिना सम्भव नहीं है। प्रश्न-4 : विपक्ष ने EVM के विषय पर हंगामा छः चरणों का मतदान समाप्त होने के बाद ही शुरू किया है। यह हंगामा विशेषकर एक्जिट पोल के परिणाम आने के बाद और तीव्र हो गया। मैं विपक्ष को बताना चाहता हूं कि एक्जिट पोल EVM के आधार पर नहीं बल्कि मतदान के पश्चात मतदाता से प्रश्न पूछ कर किया जाता है। अतः एक्जिट पोल के आधार पर आप EVM की विश्वसनीयता पर कैसे प्रश्न उठा सकते है ? प्रश्न-5 : कुछ समय पूर्व EVM में गड़बड़ी के विषय पर प्रोएक्टिव कदम उठाते हुए चुनाव आयोग ने सभी को सार्वजनिक रूप से चुनौती देकर इसके प्रदर्शन का आमंत्रण दिया था। परन्तु उस चुनौती को किसी भी विपक्षी दल ने स्वीकार नहीं किया । इसके बाद चुनाव आयोग ने EVM को VVPAT से जोड़ कर चुनावी प्रक्रिया को और पारदर्शी किया। VVPAT प्रक्रिया के आने के बाद मतदाता मत देने के बाद देख सकता है कि उसका मत किस पार्टी को रजिस्टर हुआ। प्रक्रिया के इतने पारदर्शी होने के बाद इस पर प्रश्न उठाना कितना उचित है ? प्रश्न-6 : कुछ विपक्षी दल चुनाव के परिणाम अनुकूल न आने पर ‘हथियार उठाने’ और “खून की नदिया बहाने’’ जैसे आपत्तिजनक बयान दे रहे है। मैं कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों को बताना चाहता हूं कि लोकतंत्र में ऐसी हिंसात्मक सोच और भाषा का कोई स्थान नहीं है। विपक्ष बताये कि ऐसे हिंसात्मक और अलोकतांत्रिक बयान के द्वारा वह किसे चुनौती दे रहा है ? सभी को पता है कि पश्चिम बंगाल को छोड़ कर सारे देश में मतदान पूरी तरह शान्ति पूर्वक संपन्न हुआ है। भारत के लोकतंत्र का इतिहास है कि 1977 से 2014 के सभी आम चुनावों में भारी परिवर्तन शांतिपूर्वक हुए जिससे देश के लोकतंत्र पर सारे विश्व की आस्था मजबूत हुई और देश का गौरव भी बढ़ा। अपने निहित स्वार्थ और पराजय को न मानने की मानसिकता के कारण विपक्ष चुनाव आयोग और देश के लोकतंत्र की छवि को धूमिल कर रहा है।मेरा मानना है को इस चुनाव का जो भी परिणाम आये उसे सभी को स्वीकार करना चाहिए क्योकि यह देश के 90 करोड़ मतदाताओं का जनादेश होगा। मैं देश की जनता से भी अपील करना चाहता हूं कि EVM पर विपक्ष द्वारा उठाए जा रहे प्रश्न सिर्फ भ्रान्ति फैलाने का प्रयास है, जिससे प्रभावित हुए बिना हम सबको हमारे प्रजातांत्रिक संस्थानों को और मजबूत करने का प्रयास करना चाहिए।