मरण और स्मरण में आधे अक्षर का अंतर है, लेकिन यह आधा ‘स’ जोड़ने के लिए पूरा जीवन देश, संस्कृति, स्वधर्म और स्वदेश के लिए समर्पित कर सिद्धांतों पर चलना पड़ता है।
ये तिलक जी का बहूआयामी व्यक्तित्व ही है जिसके कारण हम उनके विचारों, जीवन व संघर्षों का सदियों तक स्मरण करते रहेंगे।
मरण और स्मरण में आधे अक्षर का अंतर है, लेकिन यह आधा ‘स’ जोड़ने के लिए पूरा जीवन देश, संस्कृति, स्वधर्म और स्वदेश के लिए समर्पित कर सिद्धांतों पर चलना पड़ता है। ये तिलक जी का बहूआयामी व्यक्तित्व ही है जिसके कारण हम उनके विचारों, जीवन व संघर्षों का सदियों तक स्मरण करते रहेंगे।
Aug 01, 2020