
उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी के नाम के बिना भारतीय साहित्य की चर्चा अधूरी है। भारतीय साहित्य और मुंशी प्रेमचंद एक दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने सरल भाषा का उपयोग कर अपने प्रगतिशील विचारों को पन्नों पर उतारा। उनके यथार्थवादी व आमजन के जीवन पर आधारित लेखन ने उन्हें अमर बना दिया।
मुंशी प्रेमचंद जी ने एक गरीब परिवार से आने के बाद भी देश की आजादी के लिए गांधी जी के आह्वान पर अपनी नौकरी छोड़ दी थी। स्वाधीनता संग्राम में उन्होंने राष्ट्रभक्ति से ओत प्रोत ‘सोज़े वतन’ नाम का कहानी संग्रह लिखा।
उनकी जयंती पर मैं युवाओं से उनकी रचनाओं को पढ़ने का आग्रह करता हूँ।
उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी के नाम के बिना भारतीय साहित्य की चर्चा अधूरी है। भारतीय साहित्य और मुंशी प्रेमचंद एक दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने सरल भाषा का उपयोग कर अपने प्रगतिशील विचारों को पन्नों पर उतारा। उनके यथार्थवादी व आमजन के जीवन पर आधारित लेखन ने उन्हें अमर बना दिया। मुंशी प्रेमचंद जी ने एक गरीब परिवार से आने के बाद भी देश की आजादी के लिए गांधी जी के आह्वान पर अपनी नौकरी छोड़ दी थी। स्वाधीनता संग्राम में उन्होंने राष्ट्रभक्ति से ओत प्रोत ‘सोज़े वतन’ नाम का कहानी संग्रह लिखा। उनकी जयंती पर मैं युवाओं से उनकी रचनाओं को पढ़ने का आग्रह करता हूँ।
Jul 31, 2020